ऊर्जा के तीनों निगमों में चार हजार संविदा कर्मी होंगे नियमित
उत्तराखंड में ऊर्जा के तीनों निगमों के करीब चार हजार संविदा कर्मियों के लिए खुशखबर है। औद्योगिक न्यायाधिकरण हल्द्वानी ने इन सभी कर्मियों को नियमित करने का आदेश दिया है।
ऊर्जा के तीनों निगमों यूपीसीएल, पिटकुल व यूजेवीएनएल में कार्यरत संविदा कर्मियों के नियमितीकरण मामले में औद्योगिक न्यायाधिकरण हल्द्वानी ने बड़ा फैसला दिया है। आदेश के तहत तीनों निगमों को संविदा में कार्यरत कर्मियों को नियमित करना होगा।
राज्य में करीब 4000 से अधिक ऐसे संविदा कर्मी हैं, लेकिन 1500 कर्मियों की ओर से मांग रखते हुए यह याचिका उत्तराखंड विद्युत संविदा कर्मचारी संगठन की ओर से की दायर की गई थी।
वर्ष 2013 में ऊर्जा के तीनों निगमों यानी उत्तराखंड पावर कारपोरेशन निगम (यूपीसीएल), उत्तराखंड जल विद्युत निगम लि. (यूजेवीएनएल) तथा पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन ऑफ उत्तराखंड लि. (पिटकुल) में 496 टेक्निकल ग्रेड के पदों पर भर्ती के लिए निकाली गई।
इसका उत्तराखंड विद्युत संविदा कर्मचारी संगठन ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर विरोध किया गया। इसमें संविदा कर्मचारियों ने मांग रखी कि वर्षों से कार्यरत होने के चलते पहले उन्हें स्थाई नियुक्ति दी जाए। उत्तराखंड पूर्व सैनिक निगम लिमिटेड (उपनल) के 2004 में गठन के बाद इन संविदा कर्मियों की नियुक्ति हुई थी। इस पर हाई कोर्ट ने उपनल को अयोग्य बताते हुए उसकी नियुक्ति प्रक्रिया को ही खारिज कर दिया।
इस पर सरकार मामले में डबल बेंच में ले गई। अक्टूबर 2016 में फैसला देते हुए खंड पीठ ने इसे औद्योगिक विवाद करार किया। साथ ही औद्योगिक न्यायधिकरण को इस मामले का छह माह में निस्तारण करने को कहा। तीनों निगमों व उपनल को पक्षकार बनाते हुए संगठन के प्रांतीय महामंत्री मनोज पंत ने न्यायाधिकरण के समक्ष पक्ष रखा।
न्यायाधिकरण के पीठासीन अधिकारी नितिन शर्मा ने विस्तृत फैसले में उपनल को खारिज करते हुए तीनों निगमों को वास्तव सेवायोजक कहा और सभी कर्मियों को दैनिक वेतनभोगी माना।
प्राधिकरण ने आदेश में कहा है विनियमितीकरण नियमावली वर्ष 2011 में लागू हो गई है। इसके बाद भी तीनों निगमों ने इस नियमावली के दायरे में न आने वाले कर्मचारियों को नियमित नहीं किया है तो वह चार अगस्त 2014 से नियमित कर्मचारियों की भांति सभी लाभ पाने के अधिकारी होंगे।
विद्युत संविदा कर्मियों की बांछें खिली
न्यायाधिकरण के आदेश के बाद संविदा कर्मचारियों की बांछें खिली हुई हैं। याचिका दायर करने वाले संगठन के करीब 1500 सदस्य हैं। वहीं करीब 2500 अन्य कर्मी भी लाइनमैन, मीटर रीडर, एसएसओ व डाटा इंट्री आपरेटर आदि पदों पर कार्यरत हैं। चूंकि 2004 में उपनल का गठन हुआ है ऐसे में नियमितीकरण नियमवाली-2011 के तहत 10 साल की सेवा अनिवार्यता वाली शर्त भी लगभग सभी संविदा कर्मियों पर लागू नहीं हो रही है। जिसे देखते हुए माना जा रहा है कि अब तीनों निगमों में नियमितीकरण के लिए रास्ता खोजना होगा।
उत्तराखंड में ऊर्जा के तीनों निगमों के करीब चार हजार संविदा कर्मियों के लिए खुशखबर है। औद्योगिक न्यायाधिकरण हल्द्वानी ने इन सभी कर्मियों को नियमित करने का आदेश दिया है।
ऊर्जा के तीनों निगमों यूपीसीएल, पिटकुल व यूजेवीएनएल में कार्यरत संविदा कर्मियों के नियमितीकरण मामले में औद्योगिक न्यायाधिकरण हल्द्वानी ने बड़ा फैसला दिया है। आदेश के तहत तीनों निगमों को संविदा में कार्यरत कर्मियों को नियमित करना होगा।
राज्य में करीब 4000 से अधिक ऐसे संविदा कर्मी हैं, लेकिन 1500 कर्मियों की ओर से मांग रखते हुए यह याचिका उत्तराखंड विद्युत संविदा कर्मचारी संगठन की ओर से की दायर की गई थी।
वर्ष 2013 में ऊर्जा के तीनों निगमों यानी उत्तराखंड पावर कारपोरेशन निगम (यूपीसीएल), उत्तराखंड जल विद्युत निगम लि. (यूजेवीएनएल) तथा पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन ऑफ उत्तराखंड लि. (पिटकुल) में 496 टेक्निकल ग्रेड के पदों पर भर्ती के लिए निकाली गई।
इसका उत्तराखंड विद्युत संविदा कर्मचारी संगठन ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर विरोध किया गया। इसमें संविदा कर्मचारियों ने मांग रखी कि वर्षों से कार्यरत होने के चलते पहले उन्हें स्थाई नियुक्ति दी जाए। उत्तराखंड पूर्व सैनिक निगम लिमिटेड (उपनल) के 2004 में गठन के बाद इन संविदा कर्मियों की नियुक्ति हुई थी। इस पर हाई कोर्ट ने उपनल को अयोग्य बताते हुए उसकी नियुक्ति प्रक्रिया को ही खारिज कर दिया।
इस पर सरकार मामले में डबल बेंच में ले गई। अक्टूबर 2016 में फैसला देते हुए खंड पीठ ने इसे औद्योगिक विवाद करार किया। साथ ही औद्योगिक न्यायधिकरण को इस मामले का छह माह में निस्तारण करने को कहा। तीनों निगमों व उपनल को पक्षकार बनाते हुए संगठन के प्रांतीय महामंत्री मनोज पंत ने न्यायाधिकरण के समक्ष पक्ष रखा।
न्यायाधिकरण के पीठासीन अधिकारी नितिन शर्मा ने विस्तृत फैसले में उपनल को खारिज करते हुए तीनों निगमों को वास्तव सेवायोजक कहा और सभी कर्मियों को दैनिक वेतनभोगी माना।
प्राधिकरण ने आदेश में कहा है विनियमितीकरण नियमावली वर्ष 2011 में लागू हो गई है। इसके बाद भी तीनों निगमों ने इस नियमावली के दायरे में न आने वाले कर्मचारियों को नियमित नहीं किया है तो वह चार अगस्त 2014 से नियमित कर्मचारियों की भांति सभी लाभ पाने के अधिकारी होंगे।
विद्युत संविदा कर्मियों की बांछें खिली
न्यायाधिकरण के आदेश के बाद संविदा कर्मचारियों की बांछें खिली हुई हैं। याचिका दायर करने वाले संगठन के करीब 1500 सदस्य हैं। वहीं करीब 2500 अन्य कर्मी भी लाइनमैन, मीटर रीडर, एसएसओ व डाटा इंट्री आपरेटर आदि पदों पर कार्यरत हैं। चूंकि 2004 में उपनल का गठन हुआ है ऐसे में नियमितीकरण नियमवाली-2011 के तहत 10 साल की सेवा अनिवार्यता वाली शर्त भी लगभग सभी संविदा कर्मियों पर लागू नहीं हो रही है। जिसे देखते हुए माना जा रहा है कि अब तीनों निगमों में नियमितीकरण के लिए रास्ता खोजना होगा।
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